Friday, July 21, 2017

मर्दों के खेला में औरत का नाच | शालिनी माथुर | Tehelka Hindi

मर्दों के खेला में औरत का नाच | शालिनी माथुर | Tehelka Hindi: सितंबर, 2008 में अपने एक लेख ‘नवरीतिकालीन संपादक और उनके चीयर लीडर्स’ में मैंने हंस संप्रदाय के तत्वावधान में पोर्नोग्राफी को साहित्य बताने तथा हर स्त्री को सेक्स वर्कर साबित करने के प्रयासों की कड़ी भर्त्सना की थी. उसी समय मैंने यह लेख भी लिखना शुरू किया था. लेकिन रचनाओं में से अंश उद्धृत करते समय लगा कि इन पर टिप्पणी करना बस अड्डों पर बिकने वाली पीले पन्नों वाली किताबों में छपी अपराधों की अमानवीय घटनाओं पर टिप्पणी करने जैसा होगा. लेख अधूरा पड़ा रहा. आज पांच वर्ष बाद स्थिति बेहतर न होकर बदतर ही हुई है. मेरे लिए अब और चुप रह पाना मुमकिन नहीं. यही समझ लें कि यह लेख साहित्यिक नहीं सामाजिक सरोकारों के कारण लिखा गया है.

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