Friday, July 21, 2017

तन-बदन सुलगाने वाले उपन्यास | राजीव मिश्र | Tehelka Hindi

तन-बदन सुलगाने वाले उपन्यास | राजीव मिश्र | Tehelka Hindi: जवान हो रहा था. स्कूलिया साहित्य से मन ऊब सा गया था. सुभद्रा कुमारी चौहान के वीर रस की कविताओं का रस भी सूख सा गया था. तब इन्हीं उपन्यासों ने मुझे बचाया था

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